बल तथा गति के नियम | Force and law of motion | Class 9th Physics chapter 3| Hindi Medium

अध्याय: 3 बल और गति के नियम

बल [Force]: बल वह भौतिक कारक हैं जो किसी वस्तु पर लग कर उसकी अवस्था बदल दे या बदलने की चेष्टा करे उसे बल कहते है।इसे F द्वारा सूचित किया जाता है।

  • बल= द्रव्यमान × त्वरण  [ F=ma]
  • इसका S.I मात्रक :  न्यूटन[N] या (kgm/s²)
  • इसका C.G.S मात्रक: डायन (gcm/s²)
  • 1N= 10⁵डायन 

बल के प्रकार :-

1.संतुलित बल: यदि किसी वस्तु पर बल लगाने उसकी स्थिति में कोई  परिवर्तन न हो तो लगाया गया बल संतुलित बल कहलाता हैं।

2.असंतुलित बल: यदि किसी वस्तु पर बल लगाने पर उसकी स्थिति में परिवर्तन हो तो लगाया गया बल असंतुलित बल कहलाता है।

3.सम्पर्क बल या स्पर्श बल  ( contact force )–  ऐसे बल जो वस्तुओं के भौतिक स्पर्श से आरोपित होते है, स्पर्श बल कहे जाते है |

 

4. दूरी-पर-किया बल या अस्पर्श बल (Action-at-distance force or non-contact force ):ऐसे बल जो वस्तुओं के भौतिक स्पर्श के बिना  आरोपित होते है, स्पर्श बल कहे जाते है |

तनाव बल ( Tension force ) जब किसी वस्तु को एक डोरें से बाँधकर खिचते है, तो उनके द्वारा लगा बल तनाव बल कहलाता है |

6.घर्षण बल ( Frictional force ) जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु के सतह पर सरकती है या चलने की चेष्टा करती है, तो सतहों के बीच लगा बल घर्षण बल कहलाता है | जैसे – मेज पर रखी पुस्तक को ठेलने से मेज तथा पुस्तक के सतहों के बीच उत्पन्न बल | 

7.गुरुत्व बल ( Gravitational force ) पृथ्वी वस्तुओं को जिस बल से अपनी ओर खिचती है, उसे गुरुत्व बल कहते हैं  |

8.चुम्बकीय बल ( Magnetic force ) चुंबक द्वारा उत्पन्न बल जिससे वह लोहे की बनी वस्तु को अपनी ओर खिचता है , चुम्बकीय बल कहलाता है |

9.पेशी बल: हमारे मांसपेशियों द्वारा किसी वस्तु पर आरोपित बल को पेशी बल कहते है।

10.अभिलम्ब बल ( Normal force )– जब स्पर्श बल वस्तुओं के संपर्क की सतहों के लम्बवत लगते हो, तो उन्हें अभिलम्ब बल कहते है | जैसे -टेबल पर रखी पुस्तक द्वारा लगा बल |

न्यूटन का प्रथम गति नियम  ( First law of motion ) प्रत्येक वस्तु अपनी विराम अवस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था बनाए रखती है  जबतक की उस वस्तु पर कोई बाहरी असंतुलित बल कार्य न करे |जड़त्व ( Inertia ) – जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी विरामावस्था अथवा एक सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है |

जड़त्व दो प्रकार के होते हैं –

  1. विराम का जड़त्व – किसी वस्तु की वह प्रकृति जिसके कारण वह अपने विराम के अवस्था को बनाए रखना चाहता है ,उसे विराम का जड़त्व कहते है।

जैसे – ( i ) बस या ट्रेन के अचानक चलने से उसमे खड़ा यात्री पीछे की ओर गिर जाता है | ( ii ) पेड़ की शाखा को जोर से हिलाने पर फलों और पत्तियों का झरना |

      2.   गति का जड़त्व – इसके कारण वस्तु एक सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में अपनी गति की अवस्था को बनाए  रखने की प्रवृति होती है |

जैसे – ( i ) बस या ट्रेन के अचानक रुकने से उसमें खड़ा यात्री आगे की ओर झुक जाता है | ( ii ) दौड़ता हुआ व्यक्ति अचानक रुक नही सकता है |

संवेग ( Momentum ) – किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को उसका संवेग कहते हैं |

P = m×v 

जहां p- संवेग, m- द्रव्यमान,v- वेग

  • इसका S.I मात्रक – kgm/s होता हैं।

नोट – संवेग किसी वस्तु की विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन      लाने  वाला आवश्यक बल होता है |

न्यूटन का द्वितीय गति नियम ( Second law of motion ) किसी वस्तु की संवेग में परिवर्तन को दर उस वस्तु पर लगे बल के समानुपाती होता है और यह परिवर्तन उस बल की दिशा में ही होता है |

 

न्यूटन का तृतीय गति नियम ( Third law of motion )– दो वस्तुओं के अन्योन्य क्रिया में पहली वातु द्वारा दूसरी वस्तु पर लगाया गया बल , दूसरी वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाए गए बल के बराबर और विपरीत दिशा में होता है या , प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है | जैसे – ( i ) नाव से किनारे पर कूदने से नाव का पीछे जाना | (ii ) बंदूक से गोली के निकलने पर बंदूक का पीछे की ओर झटका देना |

संवेग का संरक्षण  (Conservation of momentum ) न्यूटन के द्वितीय नियम से यह ज्ञात होता है कि यदि वस्तु पर कोई बल आरोपित न हो तो संवेग में कोई परिवर्तन नहीं आता है अर्थात , संवेग संरक्षित रहता है |

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