Bihar board class 11th physics notes in hindi

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड भौतिकी कक्षा 11 पाठ 1 भौतिक जगत के बारे में विस्तार से बतलाएंगे।यदि हमलोग द्वारा दी गए जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तो के पास अवश्य शेयर करे। मैं विक्रांत कुमार और मेरी टीम(the guide academic)आप लोगों की सहायता के लिए हमेशा तात्पर है।

THE GUIDE ACADEMIC 
Helpline number:- 7323096623

 

Board

CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board,  Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter no. Chapter 1
Chapter Name भौतिक जगत
Category Class 11 Physics Notes in Hindi
Medium Hindi
अध्याय:- 01 भौतिक जगत

विज्ञान:- प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं के क्रमबद्ध प्रेक्षण सुसंगत तर्कों और प्रयोगों से प्राप्त सुव्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।

  • यह संस्कृत भाषा के वि+ ज्ञान से मिलकर बना है।वि का मतलबविशेष
  • Science शब्द लैटिन शब्द scentia (सेंटीया) से बना है,जिसका अर्थ है जानना।
  • अरबी भाषा में विज्ञान को इल्म कहा जाता है।
  • विज्ञान सदैव गतिशील है, विज्ञान में कोई भी सिद्धांत अंतिम नहीं होता है

विज्ञान की शाखाएं 

1.भौतिकीय विज्ञान (Physical Science):- भौतिकीय विज्ञान के अंतर्गत प्रकृति में पाए जाने वाली सभी निर्जीव वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। इसे कई भागों में विभाजित किया गया है। जैसे:- भौतिकी ,रसायन,गणित,खगोल, भू – विज्ञान ।

2.जैव विज्ञान (Biologycal Science):- जीव (जैव) विज्ञान के अंतर्गत प्रकृति में पाए जाने वाली सभी सजीव वस्तुओं का अध्ययन किया जाता हैं। 

» भौतिकी (Physics):- भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है,जिसके अंतर्गत प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

या

भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है,जिसके अंतर्गत द्रव्य ऊर्जा और उनकी अंतर्क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है।

  • Physics एक ग्रीक भाषा के शब्द fusis से बना है जिसका अर्थ है “प्रकृति“।
द्रव्य  ऊर्जा
प्रत्येक वह वस्तु जिसमे द्रव्यमान होता है तथा जो स्थान घेरती है एवं जिसको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ज्ञानेंद्रियों द्वारा अनुभव किया जा सकता है उसे द्रव्य (पदार्थ) कहते है। किसी भी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।

⇒ भौतिकी विज्ञान की शाखाएं 

  1. चिरसम्मत भौतिकी(Classical Physics)
  2. आधुनिक भौतिकी(Morden Physics)

1.चिरसम्मत भौतिकी(Classical Physics):-

भौतिकी विज्ञान की वह शाखा जिसमे स्थूल प्रभाव क्षेत्र की घटनाओं का अध्ययन किया जाता हो, चिरसम्मत भौतिकी कहलाती है।

  • यह सन 1900 ईo से पूर्व का भौतिकी है।

⇒ चिरसम्मत भौतिकी के प्रमुख भाग:- 

  1. यांत्रिकी (Mechanics):- इस शाखा में स्थिर वस्तुओं की साम्यावस्था एवं गतिशील वस्तुओं के बारे में अध्ययन किया जाता है।
  2. प्रकाशिकी (Ootics):-  भौतिकी की इस शाखा में प्रकाश की प्रकृति, संचरण एवं इसके द्वारा होने वाली घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।
  3. ऊष्मगतिकी (Thermodynamics):- भौतिकी विज्ञान की इस शाखा में ऊष्मा व ताप के नियमों व सिद्धांतो के बारे में अध्ययन करते है।
  4. विद्युत चुम्बक (Electromagnetism):-  इस शाखा में विधुत, चुम्बकत्व तथा विद्युत – चुम्बकीय तरंगों के बारे मे अध्ययन किया जाता है।
  5. ध्वनि विज्ञान:- भौतिकी की इस शाखा में ध्वनि, कंपनों  एवं तरंगों का अध्ययन किया जाता है।

2.आधुनिक भौतिकी (Morden Physics):- 

भौतिकी की वह शाखा जिसमें सुक्ष्म प्रभाव क्षेत्र की घटनाओं का अध्ययन किया जाता हो, तो उसे आधुनिक भौतिकी कहलाती है।

  • यह सन 1900 से बाद की भौतिकी है।

→ आधुनिक भौतिकी के प्रमुख भाग :-

  1.  आपेक्षिकता (Relativity):- भौतिकी की वह शाखा जिसमे लगभग प्रकाश के वेग से गतिशील पिण्डों या कणों का अध्ययन किया जाता है ‘आपेक्षिकता’ कहलाती है।
  2. क्वाण्टम यान्त्रिकी (Quantum mehanics):- भौतिकी की वह शाखा जिसमें प्रकाश एवं कण की द्वैत प्रकृति का अध्ययन किया जाता है क्वाण्टम यान्त्रिकी कहलाती है।
  3. परमाणु भौतिकी (Atomle physics):- इस शाखा मे परमाणु की संरचना तथा परमाणु के गुणों के बारे मे अध्ययन किया जाता है।
  4.  नाभिकीय भौतिकी (Nuclear physics):- भौतिकी की इस शाखा में परमाणु के नाभिक और उसके गुणों का अध्ययन किया जाता है।

» भौतिकी और गणित में संबंध:- 

  • भौतिकी की एक यथार्थ विज्ञान है जो प्रयोग और मापन पर आधारित है अतः भौतिकी के नियमों व सिद्धांतों को समझने के लिए गणित का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • गणित के बिना भौतिकी संसार का प्रसार हो पाना कठिन है।
  • त्रिकोणमितीय, बीजगणित, अवकलन तथा समाकलन आदि का उपयोग करके भौतिकी की मूल समीकरणों से बहुत सी बातें ज्ञात की जा सकती है।
  • रेडियो, टेलीविजन, कंप्यूटर, उपग्रह आदि गणित और भौतिकी की संयुक्त देन है।
  • गणित, भौतिकी की भाषा है।

  » भौतिकी और रसायन में संबंध :- 

  • परमाणु संरचना की खोज भौतिक वैज्ञानिकों ने की परमाणु संरचना के अध्ययन से आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था, संयोजकता की प्रकृति एवं रासायनिक बंध को सही ढंग से समझा जा सकता है।
  • X- किरणों एवं न्यूट्रॉन का विवर्तन तथा चुंबकीय अनुनाद अनुनाद भौतिकी की देन है इन विधियों की अनुप्रयोग से जटिल रासायनिक संरचनाओं जैसे न्युक्लिक अम्ल की संरचना आदि को आसानी से समझा जा सकता है।
  • रेडियो एक्टिवता भौतिकी की देन है। इसका अध्ययन कर पदार्थ की अति सूक्ष्म माताओं का भी पता लगाया जा सकता है।

» भौतिकी और जीव विज्ञान में संबंध:-

  • जीव विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली सूक्ष्मदर्शी भौतिकी की देन है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से क़ोशिका की संरचना को आसानी से समझा जा सकता है।
  • X किरणों की सहायता से शरीर के किसी स्थान पर टूटी हुई हड्डी का पता लगाया जा सकता है और साथ ही इन किरणों का उपयोग कैंसर जैसी भयंकर रोग के उपचार में भी किया जाता है।
  • जब जीवाणु (Bacteria) और फंजाई पर विकिरण डाला जाता है तो नया पदार्थ प्राप्त होता है जिसका प्रयोग प्रतिजैविक (Antibiotics), एंजाइम और विटामिन बनाने में होता है।
  • आजकल पराध्वनि (Ultrasound) की सहायता से शरीर के अंदर की भागों की कई जटिल बीमारियों का पता लगाया जाता है।

»भौतिकी और समाज मे संबंध:- 

  • रेडियो एवं टेलीविजन की सहायता से दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले क्रियाकलापों को उसी क्षण सुना या देखा जा सकता है।
  • टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट, मोबाइल फोन आदि की सहायता से दूरस्थ स्थानों के व्यक्तियों से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।
  • कंप्यूटर की सहायता से जटिल से जटिल गणनाएं कुछ ही सेकंड में शुद्धता पूर्वक की जा सकती है।
  • रोबोट को ऐसे स्थानों में भेज कर काम लिया जा सकता है जहां पर मनुष्यों का पहुंच पाना दुष्कर है।

» प्रौद्योगिकी एवं समाज में भौतिकी का योगदान:- 

भौतिकी के अनुप्रयोग पर आधारित कुछ उदाहरण –

  1. विद्युत उत्पादन – ये विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित होते है।
  2.  इजन – ये ऊष्मागतिकी के नियमों पर आधारित होते है।
  3. रॉकेट नौदन – ये गति के द्वितीय एवं तृतीय नियमों पर आधारित होता है।
  4. वायुयान की उड़ान- बरनूली के सिद्धान्त पर आधारित
  5. परमाणु भट्टी- नाभिकीय विखण्डन पर आधारित

» प्रकृति के मूल बल :- 

बल (Force) :-ऐसी भौतिक राशि जो किसी वस्तु या पिण्ड की स्थिति या गति मे परिवर्तन कर दे, बल कहलाती है।

हमने प्रकृति में पाये जाने वाले बहुत सारे बलो के बारे में पढ़ा है, उनमें से कुछ बल जैसे- घर्षण बल, प्रतिरोधी बल, श्यान बल, उत्प्मावन बल आदि व्युत्पन्न बल होते हैं। अर्थात् ये अन्य बलो से उत्पन्न होते हैं।

प्रकृति में कुछ बल ऐसे भी पाये जाते है जो अन्य बलो से पूर्णतः स्वतन्त्र होते है मूल बल (fundamental force) कहलाते है।

वर्तमान समय में प्रकृति में निम्न चार मूल बल पाये जाते है-

  1. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force)
  2. विद्युत चुम्बकीय बल (Electromagnetic force)
  3. प्रबल नाभिकीय बल (Strong nuclear force)
  4. दुर्बल नाभिकीय बल (Weak nuclear force)

» गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force):-

गुरुत्वाकर्षण बल किन्ही दो पिण्डो के मध्य लगने वाला बल होता है।

यह आकर्षण प्रकृति का होता है।

यह बल द्रव्यमानों के कारण लगता है।

यह प्रकृति में पाये जाने वाले सभी बलो मे, दुर्बल बल है।

गुरुत्वीय बल का मान दोनों पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा दोनों पिण्ड़ों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यदि दो पिण्ड जिनके द्रव्यमान क्रमशः m1 व m2 एक दूसरे से r दूरी पर स्थित है तो – 

विशेषताएँ –

  • (i) यह बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करता है।
  • (ii) यह सदैव आकर्षण बल होता है।
  • (iii) इस बल की परास (Range) बहुत अधिक होती है।
  • (iv) यह केन्द्रीय बल (Central Force) होता है अर्थात् दो पिण्डो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है। 
  • (v) यह बल संरक्षी बल (Conservative force) होता है।

[जब किसी बल या उसके विरुद्ध किया गया कार्य पिण्ड की प्रारम्भिक और अंतिम स्थिति पर निर्भर करता है, पथ की प्रकृति पर नहीं तो उस बल को संरक्षी बल कहते हैं।]

» विद्युत चुंबकीय बल (Electro-magnetic force)

दो आवेशित वस्तुओं के बीच लगने वाले बल को स्थिर वैद्युत बल तथा दो चुंबकों के बीच लगने वाले बल को चुंबकीय बल कहते हैं। वास्तव में स्थिर वैद्युत बल और चुंबकीय बल एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।

उदाहरणार्थ – चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर बल लगता है तथा गतिमान आवेश विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।

» विशेषताएँ-

  • (i) यह बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करता है।
  • (ii) यह बल आकर्षण और प्रतिकर्षण दोनों प्रकार का होता है।
  • (ii) यह एक दीर्घ परास बल है।
  • (iv) यह एक केन्द्रीय बल है।
  • (v) यह संरक्षी बल है।

»प्रबल नाभिकीय बल (Strong Nuclear Forces):- 

प्रबल नाभिकीय बल वह बल होता है जो न्यूक्लियॉनों (Nucleons) अर्थात् प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों को नाभिक में बनाये रखता है। यह बल इतना प्रबल होता है कि वह प्रोटॉनों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षण बल के बावजूद न्यूक्लियॉनों को नाभिक के अंदर बाँधे रखता है।

विशेषताएँ-

  • (i) यह बल आकर्षण बल होता है।
  • (ii) यह बल अल्प परास बल है। (10-15 मीटर की कोटि)
  • (iii) यह बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन नहीं करता।
  • (iv) यह केन्द्रीय बल नहीं है।
  • (v) यह संरक्षी बल नहीं है।

दुर्बल नाभिकीय बल (Weak nuclear force):-

यह बल कुछ निश्चित नाभिकीय अभिक्रियाओं में प्रकट होता है।

जैसे क्षय में (नामिक से एक इलेक्ट्रॉन एवं न्युट्रिनों का उत्सर्जन होग है)

यह बल विद्युतचुम्बकीय बल एवं प्रबल नाभिकीय बल से काफी दुर्बल होता है, लेकिन गुरुवीय बल से अधिक प्रबल होता है।

दुर्बल नाभिकीय बलो की परास बहुत कम होती है (10– 15 से 10– 16 कोटि)

»संरक्षण नियम (Conservation Rule):- 

संरक्षण नियम प्रकृति के मूलभूत नियम हैं, जिनका उल्लंघन कभी भी नहीं होता है। संरक्षण नियम निम्र हैं,

  1.  रेखीय संवेग संरक्षण का नियम
  2.  कोणीय संवेग संरक्षण का नियम
  3.  ऊर्जा संरक्षण का नियम
  4. आवेश संरक्षण का नियम

1.संवेग संरक्षण नियम [ Momentum conservation law] :-

इस नियम के अनुसार ” किसी टक्कर या घटना के पुर्व का संवेग तथा घटना या टक्कर के बाद का संवेग बराबर रहता है।”

टक्कर से पूर्व का संवेग = टक्कर के बाद का संवेग

2.कोणीय संवेग संरक्षण नियम:-

इस नियम के अनुसार” घुर्णन गति के दौरान कोणीय संवेग संरक्षित रहता है अथर्थात घटना के पूर्व का कोणीय संवेग तथा घटना के बाद का कोणीय संवेग बराबर रहता है।

3.ऊर्जा संरक्षण के नियम:- 

4.आवेश संरक्षण नियम:- (Charge conservation law):-

इस नियम के अनुसार ‘आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है, आवेश को एक वस्तु से दुसरी वस्तु पर स्थानान्तरित किया जा सकता है।”

अर्थात किसी विलगित निकाय का कुल आवेश नियत रहता है।

NOTE :- नाभिकीय व कणीय भौतिकी में प्रचकृण, बेरियौन संख्या, विचित्रता, ऊच्च आवेश आदि में संरक्षण नियम लागु होते है।

Subjective  Link
Objective Link
Test Link
Join us WhatsApp|Telegram  YouTube
कृपया ध्यान दें :- इस आर्टिकल में बताई गई सभी जानकारी में किसी तरह की खामियां मिलती हो तो हमें अविलंब सूचित करें क्योंकि इसकी जिम्मेवारी theguideacademic.com की टीम लेती हैं। इसका सत्यापन के लिए इनके अधिकारिक वेबसाइट पर जरूर विजिट कर हमारे Whatshapp पर बताएं।

अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें ।

इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद..

इस प्रकार से और भी नई-नई अपडेट पाने के लिए हमारे सोशल मीडिया अकाउंट को जरूर फॉलो कीजिएगा, जिसका लिंक इस आर्टिकल में दिया गया हैं। और इस लेख से संबंधित अगर आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हैं। तो निचे Comment Box में जरूर लिखें।

Join Job And Yojana Update
Telegram X (Twitter)
WhatsApp Chennal Instagram
WhatsApp YouTube

355 posts
मैं विक्रांत पटेल theguideacademic.com वेबसाइट के संस्थापक एवं प्रधान संपादक हूं|जो पिछले 2 वर्षो से लगातार शिक्षा से जुड़ी सभी अपडेट की जानकारी आपको देते आ रहा हूं| मैं विक्रांत पटेल बिहार के एक जिला Buxar के रहने वाला हूं, मैंने स्नातक की पढ़ाई VKSU Arah के अंतर्गत आने वाली Shershah College sasaram से किये है।मेरे द्वारा सबसे पहले सभी बोर्ड के परीक्षा से संबंधित नोट्स ,सरकारी नौकरी, सरकारी योजना, रिजल्ट, स्कॉलरशिप, एवं यूनिवर्सिटी अपडेट से जुड़ी सभी जानकारी ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से दिया जाता हैं।
View Posts →

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top