इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड भौतिकी कक्षा 11 पाठ 1 भौतिक जगत के बारे में विस्तार से बतलाएंगे।यदि हमलोग द्वारा दी गए जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तो के पास अवश्य शेयर करे। मैं विक्रांत कुमार और मेरी टीम(the guide academic)आप लोगों की सहायता के लिए हमेशा तात्पर है।
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Board |
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Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Physics |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | भौतिक जगत |
Category | Class 11 Physics Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
अध्याय:- 01 भौतिक जगत |
विज्ञान:- प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं के क्रमबद्ध प्रेक्षण सुसंगत तर्कों और प्रयोगों से प्राप्त सुव्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।
⇒ विज्ञान की शाखाएं 1.भौतिकीय विज्ञान (Physical Science):- भौतिकीय विज्ञान के अंतर्गत प्रकृति में पाए जाने वाली सभी निर्जीव वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। इसे कई भागों में विभाजित किया गया है। जैसे:- भौतिकी ,रसायन,गणित,खगोल, भू – विज्ञान । 2.जैव विज्ञान (Biologycal Science):- जीव (जैव) विज्ञान के अंतर्गत प्रकृति में पाए जाने वाली सभी सजीव वस्तुओं का अध्ययन किया जाता हैं। » भौतिकी (Physics):- भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है,जिसके अंतर्गत प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। या भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है,जिसके अंतर्गत द्रव्य ऊर्जा और उनकी अंतर्क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है।
⇒ भौतिकी विज्ञान की शाखाएं
1.चिरसम्मत भौतिकी(Classical Physics):- भौतिकी विज्ञान की वह शाखा जिसमे स्थूल प्रभाव क्षेत्र की घटनाओं का अध्ययन किया जाता हो, चिरसम्मत भौतिकी कहलाती है।
⇒ चिरसम्मत भौतिकी के प्रमुख भाग:-
2.आधुनिक भौतिकी (Morden Physics):- भौतिकी की वह शाखा जिसमें सुक्ष्म प्रभाव क्षेत्र की घटनाओं का अध्ययन किया जाता हो, तो उसे आधुनिक भौतिकी कहलाती है।
→ आधुनिक भौतिकी के प्रमुख भाग :-
» भौतिकी और गणित में संबंध:-
» भौतिकी और रसायन में संबंध :-
» भौतिकी और जीव विज्ञान में संबंध:-
»भौतिकी और समाज मे संबंध:-
» प्रौद्योगिकी एवं समाज में भौतिकी का योगदान:- भौतिकी के अनुप्रयोग पर आधारित कुछ उदाहरण –
» प्रकृति के मूल बल :- बल (Force) :-ऐसी भौतिक राशि जो किसी वस्तु या पिण्ड की स्थिति या गति मे परिवर्तन कर दे, बल कहलाती है। → हमने प्रकृति में पाये जाने वाले बहुत सारे बलो के बारे में पढ़ा है, उनमें से कुछ बल जैसे- घर्षण बल, प्रतिरोधी बल, श्यान बल, उत्प्मावन बल आदि व्युत्पन्न बल होते हैं। अर्थात् ये अन्य बलो से उत्पन्न होते हैं। → प्रकृति में कुछ बल ऐसे भी पाये जाते है जो अन्य बलो से पूर्णतः स्वतन्त्र होते है मूल बल (fundamental force) कहलाते है। → वर्तमान समय में प्रकृति में निम्न चार मूल बल पाये जाते है-
» गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force):- • गुरुत्वाकर्षण बल किन्ही दो पिण्डो के मध्य लगने वाला बल होता है। → यह आकर्षण प्रकृति का होता है। → यह बल द्रव्यमानों के कारण लगता है। → यह प्रकृति में पाये जाने वाले सभी बलो मे, दुर्बल बल है। → गुरुत्वीय बल का मान दोनों पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा दोनों पिण्ड़ों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यदि दो पिण्ड जिनके द्रव्यमान क्रमशः m1 व m2 एक दूसरे से r दूरी पर स्थित है तो – विशेषताएँ –
[जब किसी बल या उसके विरुद्ध किया गया कार्य पिण्ड की प्रारम्भिक और अंतिम स्थिति पर निर्भर करता है, पथ की प्रकृति पर नहीं तो उस बल को संरक्षी बल कहते हैं।] » विद्युत चुंबकीय बल (Electro-magnetic force) दो आवेशित वस्तुओं के बीच लगने वाले बल को स्थिर वैद्युत बल तथा दो चुंबकों के बीच लगने वाले बल को चुंबकीय बल कहते हैं। वास्तव में स्थिर वैद्युत बल और चुंबकीय बल एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। उदाहरणार्थ – चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर बल लगता है तथा गतिमान आवेश विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। » विशेषताएँ-
»प्रबल नाभिकीय बल (Strong Nuclear Forces):- प्रबल नाभिकीय बल वह बल होता है जो न्यूक्लियॉनों (Nucleons) अर्थात् प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों को नाभिक में बनाये रखता है। यह बल इतना प्रबल होता है कि वह प्रोटॉनों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षण बल के बावजूद न्यूक्लियॉनों को नाभिक के अंदर बाँधे रखता है। विशेषताएँ-
दुर्बल नाभिकीय बल (Weak nuclear force):- → यह बल कुछ निश्चित नाभिकीय अभिक्रियाओं में प्रकट होता है। → जैसे क्षय में (नामिक से एक इलेक्ट्रॉन एवं न्युट्रिनों का उत्सर्जन होग है) → यह बल विद्युतचुम्बकीय बल एवं प्रबल नाभिकीय बल से काफी दुर्बल होता है, लेकिन गुरुवीय बल से अधिक प्रबल होता है। → दुर्बल नाभिकीय बलो की परास बहुत कम होती है (10– 15 से 10– 16 कोटि) »संरक्षण नियम (Conservation Rule):- संरक्षण नियम प्रकृति के मूलभूत नियम हैं, जिनका उल्लंघन कभी भी नहीं होता है। संरक्षण नियम निम्र हैं,
1.संवेग संरक्षण नियम [ Momentum conservation law] :- → इस नियम के अनुसार ” किसी टक्कर या घटना के पुर्व का संवेग तथा घटना या टक्कर के बाद का संवेग बराबर रहता है।” टक्कर से पूर्व का संवेग = टक्कर के बाद का संवेग 2.कोणीय संवेग संरक्षण नियम:- →इस नियम के अनुसार” घुर्णन गति के दौरान कोणीय संवेग संरक्षित रहता है अथर्थात घटना के पूर्व का कोणीय संवेग तथा घटना के बाद का कोणीय संवेग बराबर रहता है। 3.ऊर्जा संरक्षण के नियम:- 4.आवेश संरक्षण नियम:- (Charge conservation law):- → इस नियम के अनुसार ‘आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है, आवेश को एक वस्तु से दुसरी वस्तु पर स्थानान्तरित किया जा सकता है।” → अर्थात किसी विलगित निकाय का कुल आवेश नियत रहता है।
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