इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड इतिहास कक्षा 9 पाठ 1 भौगोलिक खोज के बारे में विस्तार से बतलाएंगे।यदि हमलोग द्वारा दी गए जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तो के पास अवश्य शेयर करे। मैं विक्रांत कुमार और मेरी टीम(the guide academic)आप लोगों की सहायता के लिए हमेशा तात्पर है।
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Board |
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Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | History |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | भौगोलिक खोज |
Category | Class 9 History Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
अध्याय:-1 भौगोलिक खोजें |
∗ इतिहास:- तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर इतिहासकारों के द्वारा बीती हुई घटना को फिर से उजागर करना ही इतिहास कहलाता है।
→इतिहास = इति + हास [ इति का मतलब ऐसा अवश्य ही और हास का मतलब घटा हुआ होगा ]
- इतिहास के पिता हैरोडॉटस को कहा जाता है।जो यूनान देश का निवासी था ।
- कश्मीर के इतिहास की जानकारी कल्हण के राजतरंगिणी में मिलता है।
- भारतीय इतिहास का पिता मेगास्थनीज को कहा जाता है।
- आधुनिक इतिहास के पिता विलियम स्टेक्स को कहा जाता है।
→कालखण्ड की दृष्टि से इतिहास को 3 भागो में बांटा गया है:-
- प्राचीन काल :- (750 ईo से पहले का समय )
- मध्य काल :- ( 750 ईo से 1750 ईo तक का समय )
- आधुनिक काल :- ( 1750ईo से अब तक का समय )
परिचय– भौगोलिक खोज ने वैज्ञानिक प्रगति, आर्थिक विकास और व्यापार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भौगोलिक खोज की प्रारंभ स्पेन एवं पूर्त्तगाल से प्रांरभ हुआ, लेकिन इसमें इंगलैंड, हॉलैंड तथा फ्रांस को अधिक सफलता मिली।
भौगोलिक खाज के परिणामस्वरूप अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा एशिया के अन्य हिस्से का जुड़ाव विश्व के साथ हुआ। पृथ्वी के बारे में लोगों को ज्ञान हुआ तथा अंधविश्वास दूर हुआ। मध्यकाल में लोग पृथ्वी को चपटी मानते थे और समुद्र में लम्बी दूरी तय नहीं करते थे। उन्हें समुद्र में लम्बी दूरी जाने पर पृथ्वी के किनारों से अन्नत में गिरने का डर बना रहता था। दिशासूचक यंत्र न होने के कारण समुद्र में भटक जाने का भय बना रहता था।
→भौगोलिक खोज:- जिसका शाब्दिक अर्थ विश्व के वैसे भू – भागों का खोज करना होता है बल।जिसका अस्तित्व तों इस धरती पर था,परन्तु विश्व के अन्य देशों के साथ उसका व्यापारिक या सांस्कृतिक संबंध नहीं था।
- भारत के समुद्री मार्ग की खोज 1498 ईo में वास्कोडिगामा ने की।जो पुर्तगाल का नाविक था।
भौगोलिक खाजों की पृष्टभूमि
15वीं शताब्दी तक यूरोप के सभी व्यापार कुस्तुनतुनिया के मार्ग से होता था। परन्तु 1453 ई. में कुस्तुनतुनिया पर तुर्की का अधिकार हो गया, जो यूरोपीय व्यापारियों से भारी कर वसुलने लगे। जिसका हल यूरोपीयनों ने मार्ग ढ़ूँढ़ना चालू कर दिए। परिणामस्वरूप भौगोलिक खोज की रूपरेखा तैयार हुई।
- पूर्त्तगालियों ने तेज चलने वाले जहाज बनाए, जिसे कैरावल कहा जाता था।
- 1488 में पूर्त्तगाली व्यापारी बार्थोलोमियो डियाज ने दक्षिण अफ्रिका के दक्षिणतम बिंदू उत्तमआशा अंतरिप की खोज किया। जिससे भारत आने में मदद मिली।
- 1492 ई० में क्रिस्टोफर- कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की।
- 1498 ई० में पूर्त्तगाली नाविक वास्कोडिगामा उत्तमआशा अंतरिप होते हुए भारत की खोज की।
- भारत आने में गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने वास्कोडिगामा की सहायता की।
- वास्कोडिगामा द्वारा भारत से ले गए वस्तुओं को यूरोपीय बाजारों में 26 गुणा मुनाफा पर बेचा गया।
- 1492 में कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की, तथा वह अमेरिका को भारतीय उपमाद्विप का हिस्सा बताया तथा वहाँ के निवासीयों को रेड इंडियन कहा। लेकिन बाद में अमेरिगु वेस्पुची ने इसे विस्तार से खोजा।
- अमेरिका को नाम अमेरिगु वेस्पुची के नाम पर पड़ा क्योंकि इसी ने अमेरिका को विस्तार से ढूंढ़ा था।
- 1519 ई० मैग्लन ने पूरी दुनिया का चक्कर जहाज से लगाया। उसने पाया कि पूरी दुनिया के सभी समुद्र एक दूसरे से जुड़े हैं।
- ऑस्ट्रेलिया की खोज कैप्टन कुक ने किया। साथ ही न्युजीलैंड के द्वीपों का पता लगाया।
- सर जॉन और सेवास्टिन कैबोट ने न्यूफाउंडलैंड के द्वीपों का पता लगाया।
- 16वीं षताब्दी के पूर्वार्द्ध तक लगभग समस्त दुनिया की जानकारी यूरोप को हो चूकी थी।
- अमेरिकी महाद्वीप को यूरोपीयों द्वारा नई दुनिया कहा गया। क्योंकि कोलम्बस की यात्रा से पहले इसकी जानकारी नहीं थी।
भौगोलिक खोजें के परिणाम:-
भौगोलिक खोजों ने भूखण्ड से परिचित कराया और विश्व के देश एक दूसरे के संपर्क में आये। न केवल नए उपनिवेशों के साथ व्यापार करने को प्रोत्साहन मिला वरन् उन्होंने वहां अपनी सभ्यता – संस्कृति,धर्म एवं साहित्य का प्रचार – प्रसार करने का भी प्रयास किया ।इन्होंने उन देशों का शोषण किया जो यूरोपियन देशों के उपनिवेश थे। साथ ही साथ इसके और बहुत सारे परिणाम हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. व्यापार वाणिज्य पर प्रभाव:- उपनिवेशों के आर्थिक शोषण से यूरोपीय देश समृद्ध होने लगे।इस प्रगति ने यूरोपीय व्यापार को चरमोत्कर्ष पर पहुंच दिया।फलस्वरूप मुद्रा व्यवस्था का विकास हुआ। हुंडी,ऋणपत्र,आदि व्यापारिक साख का विकास हुआ। व्यापार अपने स्थानीय स्वरूप से विकसित हो कर वैश्विक रूप लेने लगा।
कालांतर में अपने विशाल साम्राज्य को संभालने में स्पेन और पुर्तगाल इतने निमग्र ही गए कि इन्होंने अपना साम्राज्य ही खो दिया।अमेरिका को आयातित सोना तथा चांदी ने अर्थव्यवस्था के स्वरूप को ही बदल दिया।
2. औपनिवेशिक साम्राज्यों का विकास :-
भौगोलिक खोजों के उपरांत साम्राज्यवाद्वक विकास जारी रहा व्यक्तियों की जगह अब संगठित कंपनी ने व्यापार का संचालन आरम्भ किया इंग्लैंड,हॉलैंड..,स्वीडन,डेनमार्क,फ्रांस,आदि देशों में ऐसी कंपनियां स्थापित हुई।अमेरिका,अफ्रीका,ऑस्ट्रेलिया,तथा अन्य द्वीप समूहबुपनिवेश एवं बस्तियां बसाई गई।प्रारम्भ में पुर्तगाल और स्पेन उपनिवेश स्थापित करने मे अग्रणी रहे 16वीं सदी से अंत तथा 17 वीं सदी के प्रारंभ में फ्रांस भी शामिल हो गया।
3.वाणिज्यवाद का विकास :- नए देशों की खोज तथा व्यापार के वैश्विक विस्तार के फलस्वरूप पूंजीवाद का जन्म हुआ। अंतराष्ट्रीय स्तर पर सोने एवं चांदी की लूट हुई साथ साथ इसका भंडारवभी किया जाने लगा।इन भंडारों की प्राप्ति से स्पेन अग्रणी था।
4. ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार :- भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय देशी की सभ्यता, संस्कृति,धर्म एवं साहित्य का प्रचार प्रसार किया। ईसाई धर्म प्रचारों ने अफ्रीका, एशिया तथा अमेरिका के दुर्गम स्थलों में जाकर अपना धर्म प्रचार किया।इन क्षेत्रों में धन का का लालच देकर एवं जबरन धर्मांतरण किया गया जिसने धर्म सुधार आंदोलन की पृष्ठिभूमि का निर्माण किया।
5. दास व्यापार का विकास :- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप मानव श्रम की महता ने दस व्यापार को प्रोत्साहित किया।अमेरिका,अफ्रीका तथा ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को पकड़कर उन्हें यूरोप के बाजारों में बेचा जाना शुरू हुआ।इन गुलामों से जंगल को करने,खेती करने,सड़क बनाने,जहाजों में ईंधन झोंकने आदि कठिन कार्य करवाए जाते थे।सभ्य एवं विकसित लोगों ने अविकसित ,भोलेभाले एवं कमजोर लोगों का शोषण किया।
6. भ्रांतियों का अंत एवं भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि:- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान के संदर्भ में व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ने का कार्य किया।अभूतपूर्व जानकारी ने मनुष्य को नए नए आविष्कारों के रास्ते पर खड़ा कर दिया।
बढ़े हुए सामुद्रिक गतिविधियां ने समुद्री यात्राओं में उपयोगी विभिन्न उपकरणों यथा – नक्शे, कंपास, नक्षत्र प्रणाली आदि के विकसित होने का अवसर प्रदान किया।
7.अन्य परिणाम :- फसलों का आदान प्रदान हुआ।जैसे यूरोप में कहवा,चाय, गन्ना, मक्का,आलू,तंबाकू, नील आदि नवीन वस्तुओं का प्रवेश हुआ तथा यूरोप के माध्यम से चाय, कॉफी,तंबाकू,आलू का भारत जैसे में आगमन हुआ।भारतीय फसल आम, गन्ना,आदि दूसरे क्षेत्रों में गए।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि भौगोलिक खोजों ने विश्व की एक नई रूपरेखा सामने लाईं। इसने दुनिया का यूरोपीयकरण कर दीया।
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