Class10 प्रकाश का परावर्तन एवं अपवर्तन Notes :
प्रकाश का परावर्तन
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- प्रकाश वह कारक है, जिसकी सहायता से हम किसी वस्तु को देख पाते हैं।
- प्रकाश ऊर्जा का एक रूप होता है।
- प्रकाश सरल(सीधी) रेखा में गमन करता है।
- प्रकाश वायु, द्रव, ठोस तथा निर्वात सभी जगह गमन कर सकता है।
- प्रकाश निर्वात में एक सेकेंड में 3×108 मीटर दूरी तय करता है।
- प्रकाश की अधिकतम चाल निर्वात में होती है।
- निर्वात में प्रकाश की चाल 3×108m/s होती है।
- जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश-स्रोत(Light Source) कहा जाता है।
प्रकाश-स्रोत दो प्रकार के होते है।
- प्राकृतिक स्रोत – सूर्य, तारे
- मानव-निर्मित स्रोत – जलता बल्ब, जलती दिया
- जो वस्तुएँ प्रकाश उत्सर्जित करती है, उसे प्रदीप्त (Luminous) या आत्मदीप्त(Self-Luminous) वस्तुएँ कहलाती है। जैसे : सूर्य, जलता बल्ब,
- जो वस्तुएँ प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती है, उसे अप्रदीप्त (Nonluminous) वस्तुएँ कहते है। जैसे : दीवाल, पेड़, पुस्तक
- जब किसी प्रकाश-स्रोत से निकला प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर हमारी आँखों तक पहुचता है तो हमें वह वस्तु दिखाई देती है।
प्रकाश किरण और किरणपुंज
- प्रकाश के गमन पथ की दिशा को किरण कहते है।
- प्रकाश के किरणों के समूह को किरणपुंज कहते है।
(i) समांतर किरणपुंज
(ii) अभिसारी किरणपुंज
(iii) अपसारी किरणपुंज



प्रकाशीय मध्यम : पदार्थो का वर्गीकरण
प्रकाशीय माध्यम (पदार्थ) : वह माध्यम जिससे होकर प्रकाश गमन कर सकता है, उसे प्रकाशीय माध्यम कहते है। जैसे : हवाँ, साफ पानी, काँच, निर्वात आदि
प्रकाशीय माध्यम को अपने से होकर प्रकाश को गुजरने देने की क्षमता के आधार पर तीन प्रकार में बाँटा जाता है।
(i) पारदर्शी पदार्थ
(ii) अपारदर्शी पदार्थ
(iii) पारभासी पदार्थ
• अपारदर्शी पदार्थ : जिन पदार्थों से होकर प्रकाश आर-पार नहीं जाता है, वे अपारदर्शी पदार्थ कहलाते हैं। जैसे : लोहा, लकड़ी, पत्थर आदि।
• पारभासी पदार्थ : जिन पदार्थों से होकर प्रकाश आंशिक रूप से आर-पार जाता है, वे पारभासी पदार्थ कहलाते हैं। जैसे : धुआँ, तेल लगा कागज, घिसा हुआ काँच आदि।
• प्रकाश जिस सतह से टकराकर उसी माध्यम में परावर्तित होता है, उसे परावर्तक सतह कहते है।
• परावर्तक सतह की प्रकृति के अनुसार परावर्तन दो प्रकार के होते है।


प्रकाश का परावर्तन : परावर्तन के नियम
- प्रकाश का परावर्तन के नियम : प्रकाश की किरणें किसी सतह पर पड़कर जिन नियमों का पालन करते हुए उस सतह से परावर्तित होती हैं, उसे परावर्तन के नियम कहते हैं।
• आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर खींचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही समतल में होते हैं।
• आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है।

- आपतित किरण (Incident Ray) : किसी सतह पर आनेवाली किरण को आपतित किरण कहते है। ऊपर के चित्र में AO आपतित किरण है।
- परावर्तित किरण (Reflected Ray) : किसी सतह से टकराकर लौटनेवाली किरण को परावर्तित किरण कहते है। चित्र में OB परावर्तित किरण है।
- आपतन बिन्दु (Point of Incidence) : किसी सतह के जिस बिन्दु पर आपतित किरण टकराती है, उसे आपतन बिन्दु कहते है। चित्र में O आपतन बिन्दु है।
- अभिलम्ब (Normal) : किसी सतह के आपतन बिन्दु पर खींचे गए लंब को अभिलम्ब कहते है। चित्र में NO अभिलम्ब है।
- आपतन कोण (Angle of Incidence) : आपतित किरण और अभिलम्ब के बीच के कोण को आपतन कोण कहते है। चित्र में ∠AON=∠i आपतन कोण है।
- परावर्तन कोण (Angle of Reflection) : परावर्तित किरण और अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन कोण कहते है। चित्र में ∠BON=∠r परावर्तन कोण है।
प्रतिबिंब : दर्पण एवं दर्पणों द्वारा बने प्रतिबिंब की विशेषता
प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं-
(i) वास्तविक प्रतिबिंब (Real Image)
(ii) काल्पनिक या आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image)
• वास्तविक प्रतिबिंब : किसी बिन्दु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिन्दु पर मिलती हैं, उसे उस बिन्दु स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते है।
• काल्पनिक प्रतिबिंब : किसी बिन्दु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस बिन्दु स्रोत का का काल्पनिक प्रतिबिंब कहते हैं।
• दर्पण (Mirror) : ऐसी चिकनी और चमकीली सतह जो नियमित रूप से प्रकाश को परावर्तित करती है। इसका एक भाग रजतित होता है।
- दर्पण के प्रकार : दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होता है।
(i) समतल दर्पण (Plane Mirror)
(ii) गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)

(i) प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है।
(ii) प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
(iii) प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है।
(iv) प्रतिबिंब हमेशा काल्पनिक बनता है। इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
(v) प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतना ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने होती है।
(vi) प्रतिबिंब पार्श्विक रूप से उल्टा बनता है।
गोलीय दर्पण
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है।
(i) अवतल दर्पण (Concave Mirror)
(ii) उत्तल दर्पण (Convex Mirror)
• अवतल दर्पण : जिस दर्पण की परावर्तक सतह धँसा तथा उभरा सतह रजतित होता है, अवतल दर्पण कहलाता है।
• उत्तल दर्पण :जिस दर्पण की परावर्तक सतह उभरा तथा धँसा सतह रजतित होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है।

• ध्रुव (Pole) : गोलीय दर्पण के मध्यबिन्दु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं।
• मुख्य अक्ष या प्रधान अक्ष (Principal Axis) : गोलीय दर्पण के ध्रुव और वक्रता केंद्र को मिलने वाले रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते है।
• वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature) : गोलीय दर्पण के वक्रता केंद्र और ध्रुव के बीच के दूरी को वक्रता त्रिज्या कहते है।
• दर्पण का द्वारक (Aperture of Mirror) : गोलीय दर्पण की चौड़ाई को दर्पण का द्वारक कहते है।
• फोकस (Focus) : गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आती प्रकाश की किराने दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से होकर जाती है या मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से आती प्रतीत होती है, उसे दर्पण का फोकस कहते है।
• फोकस दूरी (Focal Length) :गोलीय दर्पण के ध्रुव और फोकस के बीच के दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते है।

अवतल दर्पण की फोकस और फोकस दूरी
फोकस : अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से होकर जाती हैं, उस बिन्दु को अवतल दर्पण का फोकस कहते है।
फोकस दूरी : फोकस और दर्पण के ध्रुव के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते है।
फोकस : उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उस बिन्दु को उत्तल दर्पण का फोकस कहते है।
फोकस दूरी : फोकस और दर्पण के ध्रुव के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते है।
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी तथा उसकी वक्रता त्रिज्या में संबंध
f=R/2
- अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद फोकस से होकर जाती हैं।
- अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र से होकर जानेवाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद पुनः उसी पथ पर लौट जाती हैं।
- अवतल दर्पण के फोकस से होकर जानेवाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर निकाल जाती हैं।
- अवतल दर्पण के ध्रुव की दिशा में आने वाली किरणें परावर्तन के बाद परावर्तन के नियम से मुख्य अक्ष को लंब मानकर निकाल जाती है।
- उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद फोकस से आती हुई प्रतीत होती है।
- उत्तल दर्पण में वक्रता केंद्र की ओर आने वाली किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद उसी पथ पर वापस लौट जाती है।
- उत्तल दर्पण में फोकस की ओर आने वाली किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर निकाल जाती है।
- अवतल दर्पण के ध्रुव की दिशा में आने वाली किरणें परावर्तन के बाद परावर्तन के नियम से मुख्य अक्ष को लंब मानकर निकाल जाती है।
अवतल दर्पण के सामने विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब कि स्थिति :
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने फोकस एवं ध्रुव के बीच रखा जाता है तो उसका प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है। यह प्रतिबिंब काल्पनिक, सीधा और वस्तु से बड़ा बनता है।

- जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके फोकस पर रखा जाता है।
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके फोकस पर रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के सामने अनंत पर बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा और वस्तु से बहुत बड़ा बनता है।
• जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके फोकस एवं वक्रता केंद्र के बीच रखा जाता है।
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके फोकस एवं वक्रता केंद्र के बीच रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के सामने वक्रता केंद्र एवं अनंत के बीच बनता है। यह वास्तविक, उल्टा और वस्तु से बड़ा बनता है।
- जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके वक्रता केंद्र पर रखा जाता है।
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके वक्रता केंद्र पर रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के सामने वक्रता केंद्र पर ही बनता है। यह वास्तविक, उल्टा और वस्तु के बराबर बनता है।
- जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके वक्रता केंद्र एवं अनंत के बीच रखा जाता है।
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके वक्रता केंद्र एवं अनंत के बीच रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के सामने वक्रता केंद्र एवं फोकस के बीच बनता है। यह वास्तविक, उल्टा और वस्तु से छोटा बनता है। - जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने अनंत पर रखा जाता है।
जब वस्तु को अवतल दर्पण के सामने अनंत पर रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के सामने फोकस पर बनता है। यह वास्तविक, उल्टा और वस्तु से बहुत छोटा बनता है।
(ii) इसका उपयोग डॉक्टर द्वारा रोगियों के कान, नाक, गले आदि की जांच के लिए किया जाता है।
(iii) इसका उपयोग सोलर कूकर में भी किया जाता है।
(iv) इसका उपयोग सर्चलाइट में, गाड़ियों के अग्रदीप में, टॉर्च में, टेबल लैंप आदि में परावर्तक सतह के रूप किया जाता है।
उत्तल दर्पण के सामने विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब कि स्थिति:
जब वस्तु को उत्तल दर्पण के सामने अनंत पर रखा जाता है तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता है। यह काल्पनिक, सीधा और वस्तु से बहुत छोटा होता है।

- जब वस्तु को उत्तल दर्पण के सामने अनंत एवं ध्रुव के बीच रखा जाता है।
जब वस्तु को उत्तल दर्पण के सामने अनंत एवं ध्रुव के बीच रखा जाता है तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे फोकस एवं ध्रुव के बीच बनता है। यह काल्पनिक, सीधा और वस्तु से छोटा बनता

(ii) इसका उपयोग गली या सड़क में लगे स्ट्रीट लाइट में परावर्तक के रूप में किया जाता है।
- अवतल एवं उत्तल दर्पण में अंतर:

- वास्तविक एवं काल्पनिक प्रतिबिंब में अंतर :

चिन्ह परिपाटी
• गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष को निर्देशांक अक्ष माना जाता है।
• सभी दूरियाँ गोलीय दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है।
• आपतित किरण की दिशा में मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक होती है।
• आपतित किरण की विपरीत दिशा में मापी गई सभी दूरियाँ ऋणात्मक होती है।
• मुख्य अक्ष (निर्देशांक अक्ष) के ऊपर की लम्बवत दूरियाँ धनात्मक होती है।
• मुख्य अक्ष के नीचे की लम्बवत दूरियाँ ऋणात्मक होती है।
• फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।
• वक्रता त्रिज्या ऋणात्मक होती है।
• वस्तु दूरी ऋणात्मक होती है।
• प्रतिबिंब दूरी धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों हो सकती है।
• फोकस दूरी धनात्मक होती है।
• वक्रता त्रिज्या धनात्मक होती है।
• वस्तु दूरी ऋणात्मक होती है।
• प्रतिबिंब दूरी धनात्मक होती है।
1/f=1/v+1/u
आवर्धन
आवर्धन : प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु के ऊँचाई के अनुपात हो आवर्धन कहते है। इसे ‘m’ से सूचित किया जाता है।
• अवतल दर्पण का आवर्धन धनात्मक तथा ऋणात्मकदोनों होता है।
• अवतल दर्पण का आवर्धन का मान 1 से बड़ा, 1 से छोटा या 1 के बराबर हो सकता है।
• उत्तल दर्पण का आवर्धनधनात्मक होता है।
• उत्तल दर्पण काआवर्धन का मान 1 से छोटा होता है।
• वास्तविक प्रतिबिंब का आवर्धन ऋणात्मकहोता है।
• काल्पनिक प्रतिबिंब का आवर्धन धनात्मकहोता है
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: VIKRANT SIR:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
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मैं विक्रांत पटेल theguideacademic.com वेबसाइट के संस्थापक एवं प्रधान संपादक हूं|जो पिछले 2 वर्षो से लगातार शिक्षा से जुड़ी सभी अपडेट की जानकारी आपको देते आ रहा हूं|विक्रांत पटेल बिहार के एक जिला Buxar के रहने वाले हूं, मैंने स्नातक की पढ़ाई VKSU Arah के अंतर्गत आने वाली Shershah College sasaram से किये है।, मेरे द्वारा सबसे पहले सभी बोर्ड के परीक्षा से संबंधित नोट्स ,सरकारी नौकरी, सरकारी योजना, रिजल्ट, स्कॉलरशिप, एवं यूनिवर्सिटी अपडेट से जुड़ी सभी जानकारी ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से दिया जाता हैं।
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